बना देते थे गुड़िया और गुड्डा सजा के उसमें बैठा देते थे बना देते थे गुड़िया और गुड्डा सजा के उसमें बैठा देते थे
गुड्डे गुड़ियों की थी वह दुनिया बचपन था खुशियों की पुड़िया। गुड्डे गुड़ियों की थी वह दुनिया बचपन था खुशियों की पुड़िया।
हर रोज खेल ही खेल में नयी कहानी शुरू होतीं थी! हर रोज खेल ही खेल में नयी कहानी शुरू होतीं थी!
इसके साथ ही तुमको है अपना हर कदम बढ़ाना। इसके साथ ही तुमको है अपना हर कदम बढ़ाना।
मुस्कुरा उठी मैं और मेरे संग आईना भी.. मुस्कुरा उठी मैं और मेरे संग आईना भी..
फिर एक दिन चकनाचूर कर के इसको तुम लौट जाओगे न दूर अपनी दुनिया में। फिर एक दिन चकनाचूर कर के इसको तुम लौट जाओगे न दूर अपनी दुनिया में।